नई दिल्ली, राहुल जैन। हम सभी ठोस वित्तीय स्थिति चाहते हैं और अपने लक्ष्यों को हासिल करना चाहते हैं लेकिन जब बात वित्तीय साक्षरता की आती है तो तस्वीर बहुत अच्छी नजर नहीं आती है। इस पहलू पर कराए गए विभिन्न सर्वेक्षणों के परिणाम से तो कम-से-कम यही बात सामने आती है। इन सर्वेक्षणों में अनुमान जताया गया है कि भारतीय आबादी में से केवल 24 फीसद ही वित्तीय रूप से साक्षर हैं। ये आंकड़े वित्तीय रूप से साक्षर लोगों की मौजूदा तादाद और जिन लोगों को साक्षर बनाया जाना है, उनके बीच के बड़े अंतर को दिखाता है।
हालांकि, क्या आपने कभी सोचा है कि वित्तीय साक्षरता पर क्यों बहुत अधिक बात होती है और आधुनिक समय में यह किस प्रकार महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आइए इस बात का पता लगाते हैं:
सामने आने वाले नए प्रोडक्ट्स को समझिए
पिछले कुछ वर्षों में वित्तीय उत्पादों का लगातार विकास हुआ है। बदलती जरूरतों के आधार पर वित्तीय संस्थाओं ने इनोवेटिव प्रोडक्ट्स ईजाद किए और अपने पोर्टफोलियो में उन्हें ऐड किया। हालांकि, हर प्रोडक्ट की अपनी एक संरचना होती है, जोखिम होता है और रिटर्न होते हैं। दो प्रोडक्ट्स एक जैसे नहीं होते हैं। केवल वित्तीय साक्षरता के जरिए आप उन्हें बेहतर तरीके से समझ सकते हैं।
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